माँ |



बिना कुछ पुछे मेरे मन की बात जान लेती हो।
माँ तुम ये सब कैसें करलेती हो।
पहले गुस्सा करती हो, फिर मनती हो।
रोता हूँ तो झट से हस्साती हो।

रब से अपने लिए तो कुछ नहीं,पर मेरे लिए सब मांगती लेती हो ।
चोट मुझें लगती हैं पर महसूस तुम कर लेती हो ।
मेरी लम्बी उम्र के लिए कैसे भुकी प्यासी रह लेती हो।
अपना दर्द मुस्कुराते हुए कैसे छुपा लेती हो ।

मैं जब-जब गिरा तब-तब तुने सम्भाला ।
हमेशा मुझे प्यार से पाला ।

रब से अपने लिए कुछ नहीं पर मेरे लीये सब माँग लेती हो ।
माँ तुम ये सब कैसें करलेती हो ।।।।

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